विज्ञान के क्षेत्र में, इसी काल की एक सुप्रसिद्ध रचना “ गणित के नौ अध्याय ” में भिन्नों की चार बुनियादी क्रियाएं, धन संख्या और ऋण संख्या की क्रियाएं तथा दशमलव भिन्नों की धारणा जैसी नई धारणाएं पहली बार प्रस्तुत की गई थीं, जो अपने जमाने में काफ़ी उन्नत मानी जाती थीं।